सबका सिरमौर ये इंसान


जब उसने कायनात बनायीं
बनायीं ये धरती, पेड़ पौधे , पशु पक्षी
और बनाया आसमान
लाखों करोड़ों जीव बनाये
और सबका सिरमौर बनाया ये इंसान ,
तब शायद इठलाई होगी ये धरती
और ये कहता होगा आसमान
हाँ हम हैं गवाह इस बात के 
यहीं पर रहता है इंसान,
पेड़ पौधे सोचते होंगे
कि चाहे हमें उसने बनाया है बेज़ुबां
पर शुक्र है कि ख़याल रखने को हमारा
उसने धरती पर भेजा है इंसान,
पशु पक्षी भी पूछते होंगे बनाने वाले से
क्या हमें भी कभी मौक़ा मिलेगा
बनेगा कभी जीवन वरदान
रहेंगे हम जानवर ही या कभी बनेंगे इंसान,
पर अब मैंने सुना है
धरती आकाश मिलकर ढूंढ़ रहे हैं
दिखता नहीं कहाँ है इंसान
क्योंकि धरा पर रह गए हैं
केवल हिन्दू, सिख, इसाई और मुसलमान,
पेड़ पौधे बतिया रहे हैं
खुद का अब खुद रखो खयाल
क्योंकि यहाँ का है अब यही हाल
अब नहीं बचे हैं यहाँ इंसान
बस बचे हैं हिन्दू, सिख, इसाई और मुसलमान,
पशु पक्षी भी कहने लगे हैं
आदमी से दूर रहो अब
जानवर ही ठीक हैं हम
नहीं चाहिए हमको वरदान
कहीं पकड़कर ना बना दे कोई हमें भी
हिन्दू, सिख, इसाई या मुसलमान,
मेरे दोस्तों अब तो हम ये समझे
कि इंसान के अस्तित्व पर ही
ख़तरा मंडरा रहा है
क्योंकि पेड़ पौधे, पशु पक्षियों को तो
हम दूर कर ही चुके हैं
अब तो हर क्षण आदमी से आदमी
दूर हुआ जा रहा है,
जो अब भी अगर हम न समझे
ना रखि कायम अपनी पहचान
ना राम मिलेगा, ना अल्लाह
ना नानक जीसस अपने जान
जिस रब ने है हमें बनाया
उसे चाहिए सच्चे इंसान!


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